
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक नई अर्थव्यवस्था रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई 2025 में खुदरा महंगाई (CPI) अब तक के सबसे निचले ऐतिहासिक स्तर पर पहुँच सकती है।
रिपोर्ट में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट, स्थिर नीतियों और वैश्विक संकेतकों को मुख्य कारण बताया गया है।
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FY26 में CPI रह सकती है 3% के करीब
SBI का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025-26 में CPI 3.0% से 3.2% के बीच रह सकती है, जो RBI के 3.7% के अनुमान से काफी कम है।
पिछले साल FY25 में CPI औसतन 4.6% रही थी।
इस गिरावट से ब्याज दरों में कटौती की संभावनाएँ भी प्रबल हो गई हैं — लोन सस्ते, जेब में राहत!
खाद्य वस्तुओं में गिरावट: जून में CPI सिर्फ 2.10%
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जून 2025 CPI: 2.10%
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मई 2025: 2.82%
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जून 2024: 5.08%
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खाद्य महंगाई: -0.20% (इतिहास में पहली बार निगेटिव!)
सब्जियाँ, दालें, मसाले जैसी वस्तुओं की कीमतों में तेज गिरावट CPI को नीचे खींच रही है।
असर? आम आदमी की थाली में सुकून!
आयातित महंगाई बनी चिंता की वजह
राहत के इस माहौल में एक नई चुनौती सामने है — आयातित महंगाई।
जून 2025 में CPI में इसका हिस्सा 71% तक पहुँच गया, खासकर सोने और चांदी की कीमतों की वजह से।
अगर ये रुझान जारी रहा, तो RBI 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर सकता है, जिससे ब्याज दरें घटेंगी और कर्ज लेना सस्ता होगा।
किन चीज़ों पर पड़ेगा असर?
वस्तु | संभावित असर |
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टमाटर, प्याज़, आलू | कीमतों में गिरावट |
दालें और मसाले | सस्ती हो सकती हैं |
ईंधन, सोना-चांदी | महंगे रह सकते हैं |
कर्ज और ईएमआई | घटने की संभावना |
भविष्य की संभावनाएँ: क्या RBI घटाएगा ब्याज दर?
यदि CPI महंगाई RBI के अनुमान से लगातार नीचे बनी रही, तो 2025 के अंत तक RBI दरों में कटौती कर सकता है।
इससे न केवल उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी, बल्कि निवेश और आर्थिक विकास को भी गति मिलेगी।
राहत की खबर, लेकिन सतर्कता ज़रूरी
महंगाई में गिरावट एक अच्छी खबर है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाज़ार, कच्चे तेल की कीमतें और आयातित वस्तुएँ अभी भी CPI को प्रभावित कर सकती हैं।
जनता को राहत ज़रूर मिली है, लेकिन सरकार और RBI की जिम्मेदारी है कि ये ट्रेंड स्थायी बना रहे।